पिक्सेल्स यानी एलिमेन्टस बिन्दुयें, कि जिसकी वजह से द्रश्य बनता है। मेगा यानी दस लाख, यानी की १ मेगापिक्सेल्स केमरा से लि गई तस्वीर में कुल १०,००,००० रंगीन बिन्दुयें होती है। केमरे में पिक्सेल्स जितने ज्यादा उतनी ही तस्वीर मुलायम बनती है, किन्तुं यह बात कुछ हद तक ही सही है। डिजिटल केमरे के उत्पादको को भी यह बात अच्छी तरह से मालूम है, फ़िर भी वो अपने हर नये मोडल वाले केमरे में पिक्सेल्स कि संख्या बढा के उसकी ज्यादा किमत वसूल करते है।
ऐसा केमरा मोडल इस्तेमाल करने पर मेमरी कर्ड और उसके बाद हार्ड डिस्क भी भरचक होती है। जबकी तस्वीर कि क्वॉलिटी में कोइ ज्यादा फ़र्क नहिं पडता। एक ही द्रश्य कि दो तस्वीरे जीन में से एक ५ मेगापिक्सेल्स केमरे से ली गइ हो और दुसरी १० मेगापिक्सेल्स केमरे से ली गइ हो उसकी समान कद-माप की तस्वीरे अगर १० अनजान लोगो को दिखाइ जाए तो उस १० में से ९ लोग वो दो तस्वीरो में कोइ फ़र्क मह्सूस नहिं करेगे । मतलब की संतोशकारक तस्वीरे खीचने के लिये ५ मेगापिक्सेल्स केमरा काफ़ी है।
डिजिटल केमरा मिनिमम कितने मेगापिक्सेल्स का होना चाहिए ?
महेन्द्र पटेल, Saturday, March 6, 2010
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