इन्टरनेट का सर्च इंजिन चौबीसो घंटे नेटवर्क का कोम्बिंग ऑपरेशन करके अलग अलग प्रकार के विषयो को उनके चाबीरुप शब्दो के आधार पे ढूंढता रहता है। वेब पेज के उस शब्दो के मुताबीक सर्च एन्जिन उनकी सूची तैयार करता है। यह सूची सतत अपडेट हुआ करती है। इस वजह से सर्फ़िंग के दौरान जीस विषय का शब्द टाइप किया जाये उस समय सर्च इंजिन को उस विषय के सभी वेब पेज ढूंढने के लिये नेटवर्क में लाखो पेज ढूंढने कि जरुरत नहिं रहती।
गूगल के सर्च इंजिन कि तेज गती का दूसरा कारण यह है कि जिस विषय कि ज्यादा फ़रमाइश होती हो ऐसे विषयो कि वर्णमाला के अनुसार कि अलग सूची बनाकर उसे अग्रीम स्थान पे रखता है । जानकरी से समृद्ध हो ऐसे हर वेब पेज को मूलभूत रुप से उस शब्द से व्यक्त होने वाले विषय का मान के सूचि में उसे आगे के स्थान पर रखा जाता है। ये सब करणो कि वजह से फ़रमाइशी जनकारी ढूंढने में गूगल जैसे सर्च इंजिन को ज्यादा समय नहिं लगता।
इन्टरनेट कि तुलना में पर्सनल कंप्यूटर की हार्ड डिस्क पर काफ़ि कम डेटा होने पर भी कंप्यूटर के पास र्मांगे जाने वाली जानकारी इतनी तेज गती से स्कीन पे हाजीर नहिं होती, इसका कारण यह है की कंप्यूटर को जानकारी ढूंढने के लिये क्रमानुसार सभी फ़ाइले और फ़ोल्डर र्जांच ने पडते है, इस वजह से समय ज्यदा लगता है। फ़ाइल माइक्रोसोफ़्ट वर्ड जैसे कॉपिराइटेड सोफ़्ट्वेयर से बनी हो तो उसका डिकोडिंग भी कुछ समय लेता है।
सर्च इंजिन जानकारी को कैसे ढूंढता है ?
महेन्द्र पटेल, Wednesday, March 3, 2010
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