क्या आप मोबाइल बेचना चाहते है? या आप का मोबाइल चोरी हो गया है? अगर आप का जवाब "हा" है तो, सावधान ! आप का मोबाइल आपकी जेब काट सकता है या आपको परेशानी में डाल सकता है। कैसे?, आइये इसके बरेमें जानते है।
एक जमाने में मोबाइल सिर्फ़ वर्तालाप का साधन था, पर आज ये "सब बंदर का व्यापारी बन गया है। ई-मेइल, इन्टरनेट, नेट बेन्किंग, ई-मेइल का पासवर्ड, ATM का पीन नंबर, SMS, MMS, निजी डेटा, हिसाबी आकडे, फ़ोटो, विडीयो आदि सब जानकारी मोबाइल में होती है। ये सब जानकारी मोबाइल फ़ोन के मालिक की पहचान है। यदी मोबाइल फ़ोन खो जाता है या चोरी हो जाता है तो मालिक मोबाइल फ़ोन के साथ अपनी पह्चान भीखो देता है ओर ये पहचान मोबाइल फ़ोन चुराने वाले चोर या अनजन व्यक्ति को मिलती है। मलिक हस्तक के सभी अधिकार अनजान व्यक्ति को अपने आप ट्रान्सफ़र होते है। इसको Identity theft कहते है। ईन्फ़र्मेशन टेक्नोलोजि के विद्वानो के लिये ये गंभीर समस्या बनी हुई है।
सब से पहले देखते है कि चोरी हुए या खोये हुये मोबाइल फ़ोन के मामले में क्या होता है ? फ़ोन चोरी होने पर या कही खो जाने पर नेटवर्क उसका स्थान जान सकता है। क्योकि सभी फ़ोन में १६ डिजिट का IMEI नंबर होता है। १६ डिजिट में से शुरुआती २ डिजिट मोबाइल फ़ोन बनाने वाले देश और कंपनी का नाम दर्शाता है। उसके बाद के ६ डिजिट खुद मोबाइल फ़ोन कि पहचान जैसे नंबर प्लेट कि तराह है। एक डिजिट मेथेमेटिकल गिनती द्वारा फ़ोन कि असलियत चेक करता है। जब कि अंतिम डिजिट फ़ोन के सोफ़्टवेयर का प्रकार दर्शाता है। मोबाइल फ़ोन से कोल करने पर सार्विस प्रोवाइडर नेटवर्क पहला काम IMEI नंबर कि र्जांच करने का करता है। मोबाइल के ३ टावर का प्रसारण उस वख्त त्रिकोणमिति की मदद से फ़ोन का भौगोलिक स्थन जान लेता है। पुलिसतंत्र जो कार्यक्षम और कर्तव्यनिष्ठ हो तो खोया हुआ या चोरी हुआ फ़ोन वापस मील सकता है।
इसमे समस्या यह है कि शाहुकर से चोर हमेशा दो कदम आगे चलता है। चीनी बनावट के (या बनावट खोरी के !?) ज्यादातर फ़ोन में IMEI नंबर ही नहिं होता। प्रतिष्ठित ब्रान्ड के फ़ोन में अचुक होता है, किन्तु चोर उस नंबर को रिप्रोग्रामिंग के जरीये बदल देते है। ये काम के लिये इस्तेमल होनेवाले सोफ़्टवेयर इन्टरनेट पे उप्लब्ध है। दिल्ही के करोल बाग इलाके में यह देशद्रोही काम बडे पैमाने पर हो रहा है, जर्हां रिप्रोग्राम हुए फ़ोन मुंबाई जैसे दुसरे बडे शहरो में भेजे जाते है। IMEI नंबर बदलने के बाद असलियत फ़ोन की नाबूद होती है,उसके मालिक की नहि। मोबाइल में उसका डेटा अकबंद रहता है। परिणाम स्वरुप Identity theft के लिये हमेशा द्वार खुले रहते है।
चोरी हुए या खोये हुये नहिं किन्तु बेचे हुये फ़ोन के किस्से में क्या होता है? आज-कल मोबाइल के नये नये मोडल बाजार में आ रहे है, जिसकी वजह से लोग पुराना मोबाइल बेचकर नये फ़िचर वाला मोबाइल खरीदते है। लगभग सभी लोग अपना मोबाइल फ़ोन बेचने से पहले उसका डेटा Delete कर देते है और फ़ोन मेमरी खाली हो गई है ऐसा सोचते है, पर हकीकत कुछ ओर ही है। Delete किया हुआ डेटा सचमुच में Delete नहिं होता। मोबाइल और कंप्युटर के बिच यह Architectural फ़र्क उसके लिये जिम्मेदार है। टेक्नोलोजि कि भाषा में बात करे तो कंप्युटर ओपन आर्किटेक्चर वाला साधन है, उसका डेटा Delete करने के लिये उसके अंदर तक प्रवेश किया जा सकता है। मोबाइल का आर्किटेक्चर क्लोज्ड है,उसका डेटा Delete करने के लिये उसके अंदर तक जाना साधारण इन्सान के लिये नामुमकिन है।
मोबाइल फ़ोन में मेमरी चिप होती है। ई-मेइल,इन्टरनेट,नेट बेन्किंग,ई-मेइल का पासवर्ड, ATM का पीन नंबर,SMS,MMS,निजी डेटा,हिसाबी आकडे,फ़ोटे,विडीयो आदि सब डेटा उसमे स्टोर होता है। उतना ही नहिं, मोबाइल उस डेटा को कोपी करके मेमरी चिप में बाट देता है। मोबाइल से डेटा Delete करने के बाद भी Delete किया हुआ डेटा सोफ़्टवेयर के जरीये वापस लाया जा सकता है। ऐसे सोफ़्टवेयर इन्टरनेट पे उपलब्ध है। ये डेटा सोफ़्टवेयर के जरीये वापस लाने का काम मोबाइल फ़ोन खरीद ने वाला एक्सपर्ट व्यक्ति कर सकता है या कोई भी साधारण व्यक्ति एक्सपर्ट के पास करवा सकता है।
आज-कल मोबाइल बेन्किंग ओर नेट बेन्किंग से पैसो कि लेन-देन तेजी से बढ रही है। कुछ लोग क्रेडिट कर्ड का पेमेंट ऐसे फ़ोन के जरीये Ngpay सर्विस प्रोवाइडर से करते है। पैसे चुकाने के लिये सिर्फ़ कार्ड का नंबर और एक्स्पायरी डेट टाइप करना होता है। फ़ोन मेमरी इस अंको को भी कैद कर लेती है। इसलिये ऐसा फ़ोन बदकिस्मती से चोर के हाथो में चला जाये तो मूल व्यक्ति के खाते में बिल चढा के वो पेमेंट कर सकता है। फ़िलिपाइन्स कि हजारो युवतीर्यां सिंगापुर में नौकरानी या आया कि सर्विस करती है। स्वदेश में रहने वाले कुटुम्बीजनो को बचत के पैसे ड्राफ़्ट या वेस्टर्न युनियन जैसी एजेन्सीं के द्वारा नहिं भेजती। मोबाइल फ़ोन के लिये कुछ मिनटो का प्रिपेइड कार्ड खरीद के उस क्वोटा को फ़िलिपाइन्स में रहने वाले कुटुम्बीजनो के मोबाइल को पहुचाती है। जर्हां उस क्वोटा के बदले में नेटवर्क कंपनी से पैसे लिये जाते है। जनवरी से जुन,२००९ तक २६० केस में पराये मोबाइल को बेच ने से पहले तस्करो ने फ़िलिपाइन्स कि युवतीर्यां के क्वोटा को बेचकर पैसे चुरा लिये। ऐसा हमारे साथ भी हो सकता है।
मोबाइल फ़ोन बेचने से पहले ये सावधानी बर्ते ।
* मोबाइल फ़ोन बेचने से पहले उसका सोफ़्टवेयर बदलवा दे । फ़ोन का सोफ़्टवेयर बदल ने पर ही उसका सभी डेटा Delete होता है । उदा. NOKIYA फ़ोन का सोफ़्टवेयर प्रकार जानने के लिये *#0000# दबाये ।
* SIM कार्ड और मेमरी कार्ड मोबाइल के साथ मत बेचे ।
* मोबाइल मे निजी डेटा को कोड लेन्ग्वेज मे ही स्टोर करे ।
सावधान ! मोबाइल आपकी जेब काट सकता है !
महेन्द्र पटेल, Friday, February 26, 2010मेरा ये पहला हिन्दी लेख मुजे हिन्दी में ब्लोग लिखने कि प्रेरणा और मदद करने वाले Gyan Darpan के रतनसिंह शेखावतजी को सादर अर्पण करता र्हूं ।
Note: मैं हिन्दी का लेखक या अच्छा जानकार नहिं र्हुं, हिन्दी में ये मेरा पहला लेख है, इसलिये हिज्जे और लिखने में भूल हो तो क्षमा करे ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
पटेल साहेब बहुत अच्छी शुरुआत की है | सारी जानकारी माटे तमारु बहु आभार |
अच्छी जानकारी दी।आभार।
बहुत चिंताजनक है यह सब , पर करें भी क्या अब तो मोबाइल के आदि हो गएँ है
ांअच्छी जानकारी है। स्वागत है आपका। होली की शुभकामनायें। वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें तो अच्छा है कमेन्ट करने वालों को मुश्किल आती है। धन्यवाद्
वर्ड वेरिफिकेशन हटा लिया है। टिप्प्णी लिखने के लिये आप सब का आभार ।
आप सब को होली की शुभकामनायें।
मोबाईल फोन से सम्बन्धित बहुत ही सुन्दर और ज्ञानवर्धक आलेख । स्वागत है । होली की शुभकामनायें ।
aapko holi ki hardik shubhkaamnaae!
आपने बढ़िया जानकारी दी है.
बहुत ही बढिया जानकारी ,अब अपुन तो लोकल pco से कम चलाएगा